राज्य की नीति के निदेशक तत्व ( Directive Principles of State Policy )
(1) राज्य की नीति के निदेशक तत्व का वर्णन संविधान के किस भाग में किया गया है
-भाग 4
(2) राज्य की नीति के निदेशक तत्व की प्रेरणा कहाँ के संविधान से मिली
- आयरलैंड
(3) संविधान में वर्णित नीति निदेशक तत्व से सम्बंधित अनुच्छेद
(1) राज्य की नीति के निदेशक तत्व का वर्णन संविधान के किस भाग में किया गया है
-भाग 4
(2) राज्य की नीति के निदेशक तत्व की प्रेरणा कहाँ के संविधान से मिली
- आयरलैंड
(3) संविधान में वर्णित नीति निदेशक तत्व से सम्बंधित अनुच्छेद
- अनुच्छेद 36-51
- अनु. 36 - नीति निदेशक तत्व के संबंध में " राज्य की परिभाषा "
- अनु. 37 - इस भाग में दिए गए तत्वों का न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय न होते हुए भी देश के शासन में मूलभूत होना
- अनु. 38(1) - राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा ताकि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय हो सके
- अनु.38(2) - आय, सुविधाओं तथा अवसरों की असमानताओं को समाप्त करने का प्रयास करना
- अनु. 39 - राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीतियाँ ( विशेषत: सामाजिक-आर्थिक न्याय से सम्बंधित )
- पुरुषों व स्त्रियों को आजीविका के प्रयाप्त साधनों का अधिकार
- समाज के भौतिक संसाधनों का उचित स्वामित्व व वितरण
- अर्थव्यवस्था में धन तथा उत्पादन के साधनों के अहितकारी केन्द्रीकरण का निषेध
- पुरुषों व स्त्रियों के लिए समान कार्यों के लिए समान वेतन
- पुरुष व स्त्री श्रमिकों तथा बच्चों को मजबूरी में आयु तथा शक्ति की दृष्टि से प्रतिकूल रोजगार में जाने से बचाना
- बच्चों को गरिमा के साथ विकास का अवसर देना और शोषण से बचाना
- अनु. 39(क) - समान अवसर के आधार पर न्याय देना व निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना ताकि गरीबों को अन्याय का शिकार न होना पड़े
- अनु. 40 - ग्राम पंचायतों का संगठन करना तथा उन्हें शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने के लिए शक्तियाँ व प्राधिकार देना
- अनु. 41 - कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोकसहायता पाने का अधिकार
- अनु. 42 - काम की न्यायसंगत और मानवोचित्त दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध करना
- अनु. 43 - कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवन स्तर व अवकाश की व्यवस्था करना
- अनु. 43(क) - उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों के भाग लेने के लिए उपयुक्त विधान बनाना
- अनु. 43(ख) - सहकारी सहमतियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त प्रचालन, लोकतांत्रिक नियंत्रण तथा पेशेवर प्रबंधन को प्रोत्साहित करना
- अनु. 44 - नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता
- अनु. 45 - शिशुओं की देखभाल तथा 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को शिक्षा देने का प्रयास करना
- अनु. 46 - अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ सम्बन्धी हितों की अभिवृत्ति करना
- अनु. 47 - लोगों के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने को प्राथमिक कर्तव्य मानना तथा मादप पेयों तथा हानिकारक नशीले पदार्थों के सेवन का प्रतिषेध करना
- अनु. 48 - कृषि एवं पशुपालन का संगठन
- अनु. 48(क) - पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन एवं वन्यजीवों की रक्षा
- अनु. 49 - राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों, स्थानों एवं वस्तुओं का संरक्षण करना
- अनु. 50 - कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का पृथक्करण
- अनु. 51 - अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि
NOTE = इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे अनुच्छेद भी हैं, जो राज्य के लिए निदेशक तत्व के रूप में कार्य करते है ( संविधान के अन्य भागों में वर्णित नीति निदेशक तत्व ) -
- अनु. 350(क) - भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा देना
- अनु. 351 - संघ का यह कर्तव्य है कि वह हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार बढ़ाए और उसका विकास करे
- अनु. 335 - सेवाओं और पदों के लिए अनुसूचित जातियों और जनजातियों के दावे
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